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सुबह 4 बजे बाबा महाकाल ने भक्तों को दर्शन दिए। इस बार विशेष रूप से बाबा का श्रृंगार श्री राम के नाम से किया गया था। उनके मस्तक पर श्री राम लिखा गया, जिससे पूरा मंदिर परिसर जय श्री महाकाल और जय श्री राम के जयघोष से गुंजायमान हो उठा।
श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी ने बताया कि कार्तिक शुक्ल नवमी, जिसे आंवला नवमी के नाम से भी जाना जाता है, पर भगवान महाकाल की विशेष भस्म आरती संपन्न हुई। वीरभद्र जी से आज्ञा लेकर मंदिर के पट खोले गए, जिसके बाद पंडे-पुजारियों ने गर्भगृह में स्थापित समस्त देव प्रतिमाओं का पूजन-अभिषेक किया।
भगवान महाकाल का जलाभिषेक दूध, दही, घी, शक्कर, पंचामृत और फलों के रस से किया गया। इसके बाद दिव्य श्रृंगार किया गया और कपूर आरती के उपरांत बाबा को नवीन मुकुट धारण कराया गया। महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से शिवलिंग पर भस्म अर्पित की गई।
 
            
            
            
            
            
         
           
            
            
            
            
            
         
           
            
            
            
            
            
         
            
            
            
            
            
         
            
            
            
            
            
         
            
            
            
            
            
         
            
            
            
            
            
         
            
            
            
            
            
         
            
            
            
            
            
        